Wednesday 3 April 2013

भिन्न प्रकार के रोग एवं उनके लक्षण

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 बैक्टीरिया से होने वाले रोग
रोग का नाम रोगाणु का नाम प्रभावित अंग
लक्षण
हैजा बिबियो कोलेरी पाचन तंत्र उल्टी व दस्त, शरीर में ऐंठन एवं डिहाइड्रेशन
टी. बी. माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस फेफड़े खांसी, बुखार, छाती में दर्द, मुँह से रक्त आना
कुकुरखांसी वैसिलम परटूसिस फेफड़ा बार-बार खांसी का आना
न्यूमोनिया डिप्लोकोकस न्यूमोनियाई फेफड़े छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी
ब्रोंकाइटिस जीवाणु श्वसन तंत्र छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी
प्लूरिसी जीवाणु फेफड़े छाती में दर्द, बुखार, सांस लेने में परेशानी
प्लेग पास्चुरेला पेस्टिस लिम्फ गंथियां शरीर में दर्द एवं तेज बुखार, आँखों का लाल होना तथा गिल्टी का निकलना
डिप्थीरिया कोर्नी वैक्ट्रियम गला गलशोथ, श्वांस लेने में दिक्कत
कोढ़ माइक्रोबैक्टीरियम लेप्र तंत्रिका तंत्र अंगुलियों का कट-कट कर गिरना, शरीर पर दाग
टाइफायड टाइफी सालमोनेल आंत बुखार का तीव्र गति से चढऩा, पेट में दिक्कत और बदहजमी
टिटेनस क्लोस्टेडियम टिटोनाई मेरुरज्जु मांसपेशियों में संकुचन एवं शरीर का बेडौल होना
सुजाक नाइजेरिया गोनोरी प्रजनन अंग जेनिटल ट्रैक्ट में शोथ एवं घाव, मूत्र त्याग में परेशानी
सिफलिस ट्रिपोनेमा पैडेडम प्रजनन अंग जेनिटल ट्रैक्ट में शोथ एवं घाव, मूत्र त्याग में परेशानी
मेनिनजाइटिस ट्रिपोनेमा पैडेडम मस्तिष्क सरदर्द, बुखार, उल्टी एवं बेहोशी
इंफ्लूएंजा फिफर्स वैसिलस श्वसन तंत्र नाक से पानी आना, सिरदर्द, आँखों में दर्द
ट्रैकोमा बैक्टीरिया आँख सरदर्द, आँख दर्द
राइनाटिस एलजेनटस नाक नाक का बंद होना, सरदर्द
स्कारलेट ज्वर बैक्टीरिया श्वसन तंत्र बुखार

वायरस से होने वाले रोग
रोग का नाम प्रभावित अंग लक्षण
गलसुआ पेरोटिड लार ग्रन्थियां लार ग्रन्थियों में सूजन, अग्न्याशय, अण्डाशय और वृषण में सूजन, बुखार, सिरदर्द। इस रोग से बांझपन होने का खतरा रहता है।
फ्लू या एंफ्लूएंजा श्वसन तंत्र बुखार, शरीर में पीड़ा, सिरदर्द, जुकाम, खांसी
रेबीज या हाइड्रोफोबिया तंत्रिका तंत्र बुखार, शरीर में पीड़ा, पानी से भय, मांसपेशियों तथा श्वसन तंत्र में लकवा, बेहोशी, बेचैनी। यह एक घातक रोग है।
खसरा पूरा शरीर बुखार, पीड़ा, पूरे शरीर में खुजली, आँखों में जलन, आँख और नाक से द्रव का बहना
चेचक पूरा शरीर विशेष रूप से चेहरा व हाथ-पैर बुखार, पीड़ा, जलन व बेचैनी, पूरे शरीर में फफोले
पोलियो तंत्रिका तंत्र मांसपेशियों के संकुचन में अवरोध तथा हाथ-पैर में लकवा
हार्पीज त्वचा, श्लष्मकला त्वचा में जलन, बेचैनी, शरीर पर फोड़े
इन्सेफलाइटिस तंत्रिका तंत्र बुखार, बेचैनी, दृष्टि दोष, अनिद्रा, बेहोशी। यह एक घातक रोग है

प्रमुख अंत: स्रावी ग्रंथियां एवं उनके कार्ये
ग्रन्थि का नाम हार्मोन्स का नाम कार्य
पिट्यूटरी ग्लैंड या पियूष ग्रन्थि सोमैटोट्रॉपिक हार्मोन
थाइरोट्रॉपिक हार्मोन
एडिनोकार्टिको ट्रॉपिक हार्मोन
फॉलिकल उत्तेजक हार्मोन
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन
एण्डीड्यूरेटिक हार्मोन
कोशिकाओं की वृद्धि का नियंत्रण करता है।
थायराइड ग्रन्थि के स्राव का नियंत्रण करता है।
एड्रीनल ग्रन्थि के प्रान्तस्थ भाग के स्राव का नियंत्रण करता है।
नर के वृषण में शुक्राणु जनन एवं मादा के अण्डाशय में फॉलिकल की वृद्धि का नियंत्रण करता है।
कॉर्पस ल्यूटियम का निर्माण, वृषण से एस्ट्रोजेन एवं अण्डाशय से प्रोस्टेजन के स्राव हेतु अंतराल कोशिकाओं का उद्दीपन
शरीर में जल संतुलन अर्थात वृक्क द्वारा मूत्र की मात्रा का नियंत्रण करता है।
थायराइड ग्रन्थि थाइरॉक्सिन हार्मोन वृद्धि तथा उपापचय की गति को नियंत्रित करता है।
पैराथायरायड ग्रन्थि पैराथायरड हार्मोन
कैल्शिटोनिन हार्मोन
रक्त में कैल्शियम की कमी होने से यह स्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम फास्फोरस की आपूर्ति को नियंत्रित करता है।
रक्त में कैल्शियम अधिक होने से यह मुक्त होता है।
एड्रिनल ग्रन्थि
  • कॉर्टेक्स ग्रन्थि
  • मेडुला ग्रन्थि
ग्लूकोर्टिक्वायड हार्मोन
मिनरलोकोर्टिक्वायड्स हार्मोन
एपीनेफ्रीन हार्मोन
नोरएपीनेफ्रीन हार्मोन
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा उपापचय का नियंत्रण करता है।
वृक्क नलिकाओं द्वारा लवण का पुन: अवशोषण एवं शरीर में जल संतुलन करता है।
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
अग्नाशय की लैगरहेंस की इंसुलिन हार्मोन रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।
द्विपिका ग्रन्थि ग्लूकागॉन हार्मोन रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।
अण्डाशय ग्रन्थि एस्ट्रोजेन हार्मोन
प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन
रिलैक्सिन हार्मोन
मादा अंग में परिवद्र्धन को नियंत्रित करता है।
स्तन वृद्धि, गर्भाशय एवं प्रसव में होने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।
प्रसव के समय होने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।
वृषण ग्रन्थि टेस्टेरॉन हार्मोन नर अंग में परिवद्र्धन एवं यौन आचरण को नियंत्रित करता है।



विटामिन की कमी से होने वाले रोग
विटामिन
रोग
स्रोत
विटामिन ए रतौंधी, सांस की नली में परत पडऩा मक्खन, घी, अण्डा एवं गाजर
विटामिन बी1 बेरी-बेरी दाल खाद्यान्न, अण्डा व खमीर
विटामिन बी2 डर्मेटाइटिस, आँत का अल्सर,जीभ में छाले पडऩा पत्तीदार सब्जियाँ, माँस, दूध, अण्डा
विटामिन बी3 चर्म रोग व मुँह में छाले पड़ जाना खमीर, अण्डा, मांस, बीजवाली सब्जियाँ, हरी सब्जियाँ आदि
विटामिन बी6 चर्म रेग दूध, अंडे की जर्दी, मटन आदि

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